Important TIPS During Kachi Bharayee

 

भटठ्े के काम में भराई वक्त ध्यान पूर्वक बातें

1. गर्मियों में पत्थेरों मंे से तीसरे दिन की डेली उठानी ज़रूरी है।

2. भराई या ढुआई पत्थेर (डेली) के बराबर हानी चाहिए (अगर डेली 75000 की है तो हमारी भराई या    ढुआई भी 75000 या इस से ज़्यादा हानी चाहिए) और भराई का काम कच्ची के मुनशाी से पूछने के उर्पांत ही बंद करनी है। मतलब कोई भी सूखी ईंटों की लाॅरी या ईंट पत्थेर में नहीं रहनी चाहिए।

3. भराई या ढुआई होने के बाद रेढ़ा या टरोली वालों को दी जाने वाली रसीद उन की डायरी में हर रोज़ लिखी होनी चाहिए।

4. ईंट उठाते वकत या लाॅरी बनाते वकत टूटी हुई सभी ईंटों का रिर्काड पत्थेर के अनुसार होना चाहिए।

5. पावा या लाईन (सधाई की लाईनों) और बची (गोलाई की लाईनें) पूरी एक समान एक लाईन में होनी चाहिए।

6.सर्दियों की भराई में भट्ठे क़े अन्दर नमी नहीं होनी चाहिए। अगर थोडी भी नमी है तो नीचे पक्की ईंटें या पाॅलीथीन वाला तिरपाल कट करके रखना चाहिए।

7.भराई कम से कम 80 पावे जलाई से आगे हानी चाहिए और अच्छी तरह केरी डली होनी चाहिए।

8.अगर भराई सटोक से हो रही है तो भराई की गिणती पावा या चैम्बर वाईज़ करनी चाहिए।

9.अगर ईटें या टाईलें बारिस से भिगी हुई हैं तोे इनकी भराई भी एक साथ ही की जानी है ताकि निकासी भी एक साथ ही की जा सके।

10.अगले दिन की कितनी भराई है, भराई के जमांदार को रात को ही बता देना है और पक्की वाले मुनशाी को जितनी ईंटें गिणी हुई हैं उस से पांच पावे ज़्यादा केरी करने के लिए कह देना है। इस  के इलावा कच्ची के मुनशी को अगले दिन भराई में मुशिकल आए रात को ही उन का हल कर देना है, जैसे कि घाट को खुलवाना और घाट के आगे ईंटें हो, रासते में अगर पानी हो तो उस का निकालना है आदि।

11.भराई ख़तम होने के बाद कच्ची के मुनशी को कितने पावे लगे हैं उसकी पूरी पूरी जानकारी होनी चाहिए और चापा मुनशी के कहने के बाद ही होना चाहिए। बारिश के दिनों में भराई से आगे डेढ़ फुट की बट्ट लगी होनी चाहिए और सारी भराई अच्छी तरह से तरपालों से ढक्की होनी चाहिए अगर भट्ठे के उपर सैड नहीं है तो।

12.कच्ची के मुनशी को गेढ़ या चक्कर खतम होने के बाद कितने पावे या लाईन की भराई हुई है, उनकी डीटेल का हिसाब रखना जरूरी है।

13 अगर भट्ठे के अन्दर जगह है तो भराई भट्ठे में ही लगनी चाहिए चाहे वह भराई वालों की ओर से हो रही हो या भट्ठे के वाहन से। चक्के में भराई उसी वक्त लगनी चाहिए अगर मौसम खराब है या भट्ठे के अंदर जग्ह नहीं है।

14 भराई के जमादार को हर रोज़ उसकी कापी में ईंट बनाकर देनी है और गेढ़ होने के बाद गेढ़ की सारी ईंटें देकर उस से साईन करवाना है और उसकी एक कापी पर भी लिख देना है। इसी प्रकार पत्थेरों की कापी पर भी खर्चे वाले दिर्न इंटें चढ़वा देनी हैं और हफते के हफते दफ्तर में पत्थेरों  और भराई के जमादारों की ईंटों को मिला (टेली) लेना चाहिए।

15 टाईल की भराई पाए या लाईन के सैंटर में होनी चाहिए।

16 अगर भट्ठे के अन्दर की सतह बाहर से नीची है तो बारिस के दिनों में घाटों के बाहर मिट्टी की उंची बट्टें बना देनी चाहिए ताकि बाहर का पानी अन्दर सके।

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